गणेश उत्सव के दौरान किस तरह करे पूजा अर्चना, कौन सा मंत्र पहले और बाद में बोले

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नीमच। भारतीय धार्मिक परंपराओं में श्री गणेश चतुर्थी सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक है। इस दिन सुखकर्ता, दुखहर्ता भगवान श्री गणेश की प्रतिमा स्थापित की जाती है और फिर पूरे भक्ति भाव से 10 दिन तक सेवा और पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से चमत्कारी फल प्राप्त होते हैं। हम आपके लिए लेकर आए हैं पूजा करने के संबंध में पुरी जानकारी। पूजा किस तरह होना चाहिए

 

पूजा शुरू करने से पहले ये मंत्र बोलें

 

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।  

उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥  

 

इसके बाद संकल्प लेकर ऊं गं गणपतये नम: मंत्र बोलते हुए जल, मोली (पूजा का लाल धागा) चंदन, सिंदूर, अक्षत, हार-फूल, फल, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी, यज्ञोपवित (जनेउ), दूर्वा और श्रद्धानुसार अन्य सामग्री अर्पित करें। इसके बाद गणेशजी को धूप-दीप दर्शन करवाएं। फिर आरती आरती के बाद प्रथम दिन 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रखें और 5 ब्राह्मण को दान कर दें। बाकी प्रसाद में बांट दें। फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद शाम को स्वयं भोजन करें। 

 

पूजा के बाद ये मंत्र बोलकर गणेशजी को नमस्कार करें 

विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।

नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।। 

 

भगवान श्रीगणेश की आरती एवं आरती मंत्र –

चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च। 

त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी। 

माथे सिंदूर सोहे मूसे की सवारी।।  

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

अन्धन को आंख देत कोढ़िन को काया। 

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

हार चढ़े फुल चढ़े और चढ़े मेवा। 

लड्डूवन का भोग लगे संत करे सेवा।। 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। 

माता जाकि पार्वती पिता महादेवा।। 

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