रतलाम। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बुधवार को पहली बार रतलाम पहुंचे। जैसे ही वे पहुंचे, उन्हें देखने और आशीर्वाद लेने के लिए भारी भीड़ उमड़ पड़ी। इस दौरान एक महिला अपनी पोती को लेकर उनके दर्शन के लिए खड़ी थी। शास्त्री जी ने उस बच्ची को देखकर पास बुलाया, उसका नाम पूछा और झोले से 500 रुपए निकालकर उसे भेंट किए।
बच्ची की दादी प्रतिभा बैरागी ने भावुक होकर कहा, “मेरी पोती आज घर से सोचकर निकली थी कि गुरुदेव के दर्शन होंगे, और आज तो जैसे सारी दुनिया की दौलत मिल गई।”
हालांकि भीड़ में धक्का-मुक्की के चलते कुछ महिलाएं गिर भी गईं, लेकिन गनीमत रही कि किसी को चोट नहीं आई।
हिंदू राष्ट्र की मांग को लेकर पैदल यात्रा की घोषणा
पं. धीरेंद्र शास्त्री दोपहर करीब 12:20 बजे बीकानेर के नौखा से चार्टर प्लेन द्वारा रतलाम के बंजली हवाई पट्टी पर उतरे। वहां से वे सीधे सागोद रोड स्थित एक निजी कार्यक्रम में पहुंचे, जहाँ उन्होंने लोगों से मुलाकात की और भोजन किया। इसके बाद वे बंजली चौराहा स्थित आयोजन स्थल पहुंचे और दिव्य आशीर्वचन दिए।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “हिंदू राष्ट्र की मांग और देश से छुआछूत मिटाने के लिए नवंबर में पैदल यात्रा निकाली जाएगी।”
“हर नागरिक मूल रूप से हिंदू है”: धीरेंद्र शास्त्री
देश में जुलूसों पर हो रही पत्थरबाजी को लेकर उन्होंने कहा, “यह हिंदुओं को डराने की साजिश है, लेकिन हिंदू न डरेगा, न झुकेगा। इस देश का हर नागरिक मूल रूप से हिंदू है, मुस्लिम भी। वे केवल कन्वर्टेड हैं।”
नीमच में जैन संतों पर हुए हमले को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा, “संतों की सुरक्षा जरूरी है। पत्थर फेंकना हो तो देशद्रोहियों पर फेंको।”
“बच्चों को बनाइए कट्टर हिंदू”
शास्त्री जी ने कहा, “हिंदू राष्ट्र की शुरुआत रतलाम से हो सकती है। मैं यहां पहली बार आया हूं, लेकिन जल्द फिर आकर दरबार लगाऊंगा। यह संतों की नगरी है।”
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बच्चों को डॉक्टर, कलेक्टर, एसपी तो बनाएं ही, लेकिन उन्हें कट्टर हिंदू भी बनाएं।
“हम पूजा-पाठ छोड़ रहे हैं, संस्कार खो रहे हैं। मंदिर जाओ, तिलक लगाओ। मुसलमान नमाज नहीं छोड़ते, ईसाई चर्च जाना नहीं छोड़ते, तो फिर हम मंदिरों से दूर क्यों हैं?”
शास्त्री जी ने अंत में कहा, “हमें मुसलमानों से नहीं, उन लोगों से दिक्कत है जो कहते हैं – ‘सिर तन से जुदा कर देंगे।’ अभी समय है, एक होकर हिंदू राष्ट्र बनाने का।”