मंदसौर। कुनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य में स्थानांतरित किए गए चीतों ने नए वातावरण में सफल अनुकूलन दिखाया है। वन विभाग के अनुसार, चीते औसतन हर दूसरे दिन शिकार कर रहे हैं और नीलगाय इनका प्राथमिक शिकार बन चुकी है।
जिला वन अधिकारी संजय रायखेरे ने बताया कि अभयारण्य में नीलगायों की संख्या पर्याप्त है और चीतों ने इन्हें स्वाभाविक रूप से अपना मुख्य शिकार बना लिया है। यह इस बात का संकेत है कि चीते तेजी से जंगल के वातावरण के साथ घुलमिल रहे हैं।
सुबह और शाम करते हैं शिकार
वन विभाग की टीम ट्रैकिंग कॉलर और कैमरा ट्रैप के माध्यम से चीतों की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है। जानकारी के अनुसार, चीते मुख्यतः सुबह-सुबह या फिर शाम के समय शिकार करते हैं। खुले मैदानों में चरने वाली नीलगाय इनके लिए आसान लक्ष्य बन रही हैं। इसके अलावा, कुछ मौकों पर चीतों ने चीतल और चिंकारा का भी शिकार किया है।
स्वतंत्र रूप से कर रहे हैं विचरण
जिला वन अधिकारी के अनुसार, चीते बिना किसी बाहरी सहायता के जंगल में स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे हैं और स्वाभाविक जीवन शैली अपना चुके हैं। प्रोजेक्ट चीता के तहत यह एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। गांधीसागर देश का दूसरा ऐसा अभयारण्य है, जहां स्थानांतरित चीते पूरी तरह से प्राकृतिक रूप से शिकार कर रहे हैं।