मंदसौर जिले में “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत खरीफ फसलों की बुआई, कीट नियंत्रण और प्राकृतिक खेती पर किसानों को जागरूक किया गया। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र मंदसौर के संयुक्त तत्वावधान में सीतामऊ विकासखंड के मानपुरा, भगौर और खजुरीनाग गांवों में किसान चौपालों का आयोजन हुआ।
वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी एम.डी. शिंदे ने सोयाबीन में मोजेक रोग की रोकथाम हेतु डाइमेथोएट या इमिडाक्लोप्रिड के छिड़काव की सलाह दी। कीट नियंत्रण के लिए थायोमिथाक्सम या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल के उपयोग पर भी बल दिया गया। कृषि विस्तार अधिकारी विजय मुवैल ने मिट्टी परीक्षण और प्रधानमंत्री स्वाइल हेल्थ कार्ड योजना के लाभ बताए।
प्राकृतिक खेती पर विशेष फोकस
चौपाल में हुकुमसिंह पंवार ने प्राकृतिक खेती के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। उन्होंने जीवामृत, बीजामृत, नीमास्त्र और ब्रह्मास्त्र जैसे जैविक कीटनाशकों की जानकारी दी। साथ ही मिश्रित खेती और मल्चिंग तकनीक को अपनाकर भूमि की उर्वरता बढ़ाने और लागत घटाने के उपाय बताए।
पशुपालन और उद्यानिकी योजनाओं की जानकारी
डॉ. सुरजसिंह मंडलोई ने पशुपालन से जुड़ी योजनाओं व पशु स्वास्थ्य संबंधी उपायों पर जानकारी दी, जबकि उद्यानिकी विभाग के चंद्रवीर सिंह डोडियार ने किसानों को विभागीय योजनाओं का लाभ उठाने का आग्रह किया।
खरीफ बुआई के लिए वैज्ञानिक सलाह
डॉ. देवेन्द्र कुमार ने हर तीन वर्ष में खेत की गहरी जुताई की सलाह दी, वहीं डॉ. अल्पना कुम्हारे ने सोयाबीन की उन्नत किस्मों एनआरसी-142, 138 और 152 की जानकारी दी। उन्होंने एरियल ब्लाइट रोग की रोकथाम के लिए फ्लोक्जापाइराक्झाड और पायरोक्लास्ट्रोबिन का छिड़काव करने की विधि भी समझाई।
चौपालों में बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे और विशेषज्ञों से लाभकारी जानकारी प्राप्त की। इस अभियान का उद्देश्य किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से खेती की ओर प्रेरित कर उनकी आय में वृद्धि करना है।