रतलाम (जावरा)। जहां एक ओर सरकार और संगठन कार्यकर्ताओं की रीढ़ की हड्डी बताकर उनके सम्मान की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर उन्हीं कार्यकर्ताओं के साथ प्रशासनिक तंत्र अन्याय करता दिख रहा है। मामला जावरा तहसील के परवलिया गांव का है, जहां भाजपा के वरिष्ठ और लंबे समय से सक्रिय कार्यकर्ता प्रकाशचंद्र सोलंकी की भूमि पर फर्जी नक्शा तैयार कर कब्जा कर लिया गया।
पीड़ित प्रकाशचंद्र सोलंकी ने आरोप लगाया है कि पटवारी मनीष राठौर और तहसीलदार संदीप झुने की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने यह षड्यंत्र रचा। बिना किसी वैध आदेश के रिकॉर्ड में छेड़छाड़ की गई और करोड़ों रुपये मूल्य की ज़मीन का नामांतरण तक कर दिया गया।
नक्शा बदला, रिकॉर्ड में गड़बड़ी और प्रशासन चुप
प्रकाशचंद्र का कहना है कि उनकी ज़मीन का वास्तविक नक्शा मौजूद है, लेकिन उसे दरकिनार करते हुए तहसील कार्यालय में फर्जी नक्शा तैयार किया गया। इस नक्शे के आधार पर भू-माफिया ने ज़मीन पर कब्ज़ा किया और सरकारी दस्तावेजों में उसे वैध साबित करने की कोशिश की गई।
भाजपा कार्यकर्ता के साथ अन्याय — संगठन मौन
इस पूरे घटनाक्रम ने भाजपा संगठन की कार्यकर्ता नीति पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक समर्पित भाजपा कार्यकर्ता को ही इंसाफ़ न मिले, तो आम जन की अपेक्षाएं कैसे पूरी होंगी?
प्रकाशचंद्र का कहना है कि उन्होंने कई बार तहसील, राजस्व विभाग और भाजपा संगठन में शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब उन्होंने कलेक्टर से निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
भाजपा का मूलभूत सिद्धांत ही खतरे में?
यह मामला सिर्फ एक ज़मीन विवाद का नहीं, बल्कि पार्टी की “सेवा और न्याय” की विचारधारा पर भी सीधा प्रहार है। अगर भाजपा अपने समर्पित कार्यकर्ता को न्याय न दिला सके, तो फिर यह सवाल संगठन के शीर्ष नेतृत्व तक भी पहुंचता है।
पीड़ित ने लगाई न्याय की गुहार
प्रकाशचंद्र सोलंकी ने मीडिया से कहा, “मैंने भाजपा की सेवा को अपना कर्तव्य माना, लेकिन जब मेरे साथ अन्याय हुआ, तो सिस्टम ने मुझे अकेला छोड़ दिया। मैं सिर्फ न्याय चाहता हूं। जो गलती की है, उस पर कार्यवाही होनी चाहिए — चाहे वह कोई भी हो।”