मध्य प्रदेश | ग्रामीण विशेष रिपोर्ट
प्रदेश सरकार द्वारा संदीपनि मॉडल स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे सरकारी विद्यालयों को बंद कर छात्रों को स्थानांतरित करने के निर्णय पर अब विरोध की चिंगारी भड़कने लगी है। यह निर्णय ग्रामीणों को रास नहीं आ रहा है, और उन्होंने सरकार को आंदोलन की चेतावनी तक दे डाली है।
ग्रामीणों की नाराजगी: शिक्षा के साथ अन्याय
ग्रामीणों का कहना है कि यह आदेश बच्चों के भविष्य और गांव की शैक्षणिक व्यवस्था के साथ सीधा अन्याय है। स्थानीय स्कूल जहां बच्चे आसानी से पढ़ाई कर पाते थे, अब उन्हें 4–5 किमी दूर भेजना होगा। माता-पिता खास तौर पर छोटे बच्चों को लेकर चिंतित हैं।
“गांव के स्कूल से ही बच्चों को पढ़ने की आदत लगती है। अब दूर भेजने पर पढ़ाई छूटने का डर है,” – एक ग्रामीण अभिभावक ने कहा।
छात्रों पर असर: बढ़ सकता है ड्रॉपआउट रेट
ग्रामीणों ने चिंता जताई कि लंबी दूरी तय करना छोटे बच्चों के लिए मुश्किल होगा, जिससे नियमित उपस्थिति घटेगी और ड्रॉपआउट की दर में इज़ाफा हो सकता है। विशेष रूप से गरीब और मजदूरी करने वाले परिवार इससे सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
ग्रामीणों की मांगें:
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गांव के पुराने स्कूलों को बंद न किया जाए
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किसी भी स्थानांतरण से पहले ग्राम स्तर पर जनसंवाद हो
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शासन अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे
शासन की दलील:
शासन का कहना है कि संदीपनि मॉडल स्कूल आधुनिक भवनों और सुविधाओं से युक्त हैं, और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए सभी छात्रों को वहीं एकीकृत किया जाना जरूरी है।
अब बड़ा सवाल:
क्या शासन की यह नीति ग्रामीण शिक्षा को सुधारने का प्रयास है, या इससे गांवों में शिक्षा की जड़ें कमजोर होंगी?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों से अपील:
ग्रामीणों ने जनप्रतिनिधियों से हस्तक्षेप कर स्कूलों को बंद होने से बचाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि जल्द निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो वे गांव-गांव से बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।